एक किरदार मैं भी हूँ ,
रेज़ा रेज़ा सा , हल्का हल्का सा ,
झिलमिल झूमर सा ,
खोया खोया सा ,
दमकती दुनिया में ,
बिखरते रंगों की महफ़िल से ,
कभी खुशनुमा , कभी रमा हुआ सा ,
कभी शहर के ठंडेपन में ,
ढँका हुआ , जमा हुआ सा ,
रोम रोम में रूमानी हुआ सा ,
रांझना बन कर , ढला हुआ सा ,
तारों के खेमे में ,
तालीम सीखा हुआ
कुछ तुम्हारे जैसा , कुछ अपना बना सा ,
समा में सधा हुआ सा ,
एक अलग दास्तां , हर इंसान की तरह ,
ज़माने में ज़ोया बना सा ।